क्या इटली में नव फासीवादी गठबंधन सरकार बनाने जा रहा है?

इटली की राजनीति एक बड़ा करवट लेती हुई दिख रही है. पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री मारियो दराघी की 18 महीने पुरानी गठबंधन सरकार के पतन के बाद 25 सितम्बर को इटली में संसदीय चुनावों की घोषणा हो गई है. इटली की राजनीति लम्बे समय से एक भारी उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है. फ़्रांस के राष्ट्रपति चुनावों के बाद इटली के संसदीय चुनावों की ओर यूरोप और पूरी दुनिया की निगाहें लगी हैं.

मौजूदा रुझानों से लगता है कि पश्चिमी यूरोप में इटली शायद पहला देश होगा जहाँ इटली की "मरीन ली पेन" कही जानेवाली और धुर दक्षिणपंथी नव फासीवादी राजनीति की चैम्पियन जार्जिया मेलोनी सत्ता के बहुत करीब दिखाई दे रही हैं.

मेलोनी की ब्रदर्स आफ इटली जनमत सर्वेक्षणों में मामूली अंतर से वाम मध्यमार्गी- डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडी) से आगे चल रही है और वह अकेली सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर सकती है. लेकिन उनका अनुदार-दक्षिणपंथी गठबंधन जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री सिल्वियो बर्लुस्कोनी की फोर्ज़ा इटालिया और पूर्व उप-प्रधानमंत्री मातियो सालविनी की नार्दर्न लीग शामिल हैं, को संसद के निचले और उपरी सदन में 60 फीसदी तक सीटें जितने का अनुमान लगाया जा रहा है.

बर्लुस्कोनी, मेलोनी और सालविनी : सत्ता की ओर?

अगर सर्वेक्षण सही साबित होते हैं और जार्जिया मेलोनी अगर प्रधानमंत्री बनती हैं तो वे न सिर्फ इटली की पहली महिला प्रधानमंत्री होंगी बल्कि यह इटली की राजनीति में एक तरह का भूचाल होगा. मेलोनी सिर्फ अनुदार-दक्षिणपंथी राजनीति की चैम्पियन नहीं हैं बल्कि वे इटली में नव फासीवादी राजनीति की उभार की प्रतीक हैं. उनकी ब्रदर्स आफ इटली की वैचारिक और राजनीतिक जड़ें इटली के तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी के समर्थकों द्वारा शुरू किये गए इटालियन सोशल मूवमेंट (एमएसआई) से जुड़ी हैं और उसकी ही उत्तराधिकारी मानी जाती है.

हालाँकि मेलोनी खुद को एक राष्ट्रवादी और असली कंजर्वेटिव के बतौर पेश करने की कोशिश करती हैं लेकिन उनकी राजनीतिक यात्रा, वैचारिक दृष्टिकोण और मुद्दे दूसरी ही कहानी कहते हैं. वे कट्टर आप्रवासी विरोधी हैं, इटली की श्वेत-ईसाई पहचान और देश की संप्रभुता को बहाल करने पर जोर देती हैं. इसके जरिये वे मरीन ली पेन और यूरोप की दूसरी धुर दक्षिणपंथी पार्टियों की तरह यूरोपीय संघ के आइडिया को एक सुपर ब्यूरोक्रेटिक सरकार की तरह पेश करती हैं और उसके निर्देशों को अपने देशों की संप्रभुता में हस्तक्षेप मानती हैं.

मेलोनी अपने भाषणों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नारे "अमेरिका फर्स्ट" की तरह "इटली फर्स्ट" की वकालत करती हैं. आप्रवासियों के मामले में उनकी आक्रामकता इस हद तक पहुँच जाती है है कि वे समुद्र के रास्ते भागकर आनेवाले आप्रवासियों को रोकने के लिए नौ-सैनिक बेड़े की तैनाती और इटली के बंदरगाहों को बंद करने की मांग करती रही हैं. टिपिकल धुर दक्षिणपंथियों की तरह वे एलजीबीटी अधिकारों के खिलाफ हैं. वे "ईश्वर, होमलैंड और परिवार" को अपनी राजनीति की धुरी मानती हैं. वे हंगरी में विक्टर ओर्बान की धुर दक्षिणपंथी सरकार से लेकर अन्य यूरोपीय देशों में धुर दक्षिणपंथी दलों को खुलकर समर्थन देती हैं.

लेकिन इटली की राजनीति में मेलोनी की अगुवाई में धुर दक्षिणपंथी और नव फासीवादी राजनीति के इस उभार पर हैरानी नहीं होनी चाहिए. यह निश्चित रूप से मध्यमार्गी, लिबरल और वाम राजनीतिक शक्तियों और उनके नेताओं की वैचारिक दरिद्रता, आपसी झगड़े, व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं, आर्थिक नाकामी और ऊपर से सामाजिक सुरक्षा- खासकर स्वास्थ्य-शिक्षा जैसे मदों में नव उदारवादी आर्थिक नीतियों के दबाव में दशक भर से ज्यादा समय से कटौती (आस्टरिटी की नीति) की आर्थिकी का आँख मूंदकर पालन करने का नतीजा है. इटली में युवा बेरोजगारी, आर्थिक गतिहीनता और स्वास्थ्य सेवाओं की लचर स्थिति बड़े मुद्दे हैं.

मेलोनी का उभार

यही नहीं, धुर दक्षिणपंथी-नव फासीवादी शक्तियों के उभार की सबसे बड़ी वजह यह है कि लिबरल, मध्यमार्गी और मध्य-वाम पार्टियों ने आगे बढ़कर नव फासीवादी राजनीति के उभार का डटकर राजनीतिक-वैचारिक मुकाबला करने के बजाय उसके साथ हेलमेल करने, उससे मुकाबले के नामपर अपनी राजनीति की धुरी को दक्षिण की ओर झुकाने और उनके पापुलिस्ट नारों और मुद्दों के आगे समर्पण कर दिया.

लेकिन इसके साथ ही यह भी सच है कि देश में फासीवादी राजनीति के प्रवर्तक और तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी के 1946 में पतन और हत्या के बावजूद उसके समर्थक और नव फासीवादी समूह इटली में हमेशा सक्रिय रहे. हैरानी की बात नहीं है कि मेलोनी की ब्रदर्स आफ इटली को 2018 के आम चुनावों में सिर्फ 4 फीसदी वोट मिले थे लेकिन इन पांच सालों में आज हालत यह हो गई है कि उसे सबसे ज्यादा 22 से 24 फीसदी वोट मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है.

मेलोनी के लिए रास्ता साफ़ करने का काफी हद तक जिम्मा इटली की राजनीति में धूमकेतु की तरह उभरे फाइव स्टार मूवमेंट पार्टी को भी जाता है. फाइव स्टार मूवमेंट को उत्तर वैचारिकी (पोस्ट आइडियोलाजी) और उत्तर आधुनिक (पोस्ट माडर्न) पार्टी माना जाता है जो पापुलिस्ट नारों और मुद्दों की राजनीति करती है.

पूर्व प्रधानमंत्री मारियो दराघी

लेकिन वह एक साथ अनुदार-दक्षिणपंथी और उदार-मध्यमार्गी-वाम खेमे में आवाजाही करती रहती है. वह एक ओर यूनिवर्सल इनकम, क्लाइमेट चेंज जैसे प्रगतिशील मुद्दे उठाती है और दूसरी और, आप्रवासियों के खिलाफ भी बोलती रहती है. उसे 2018 के आम चुनावों में सबसे अधिक वोट और सीटें मिली थीं. उसकी राजनीतिक नाकामी ने इटली में धुर दक्षिणपंथ के लिए जमीन तैयार कर दी.

इटली के चुनावों पर नजर रखिये. इससे निकलनेवाले सन्देश सिर्फ इटली तक सीमित नहीं रहनेवाले हैं.

Write a comment ...

आनंद प्रधान

देश-समाज की राजनीति, अर्थतंत्र और मीडिया का अध्येता और टिप्पणीकार