कोविड-19 के बहाने विटामिनों और इम्युनिटी बूस्टर का चोखा धंधा और नीमहकीमी

महामारियों के दौरान नीमहकीमों और धंधेबाजों की चांदी हो जाती है 

पिछले साल जब से कोविड-19 महामारी फैली, देश में नीमहकीमों और झोलाछाप डाक्टरों की भरमार हो गई है जो लोगों की घबराहट और बेचैनी का फायदा उठाकर भांति-भांति के नुस्खे बेच रहे हैं. इनमें वे पढ़े-लिखे और नामी-गिरामी डाक्टर्स भी हैं जिन्होंने इस दौरान इन नुस्खों खासकर कथित इम्यूनिटी बूस्टर्स और मल्टी-विटामिनों जैसे जिंक, विटामिन सी, डी आदि को खूब बढ़ावा दिया.

महामारी से डरे और घबराए लोगों ने इन नुस्खों और इम्यूनिटी बूस्टर्स और विटामिनों को जादू की छड़ी समझकर हाथों-हाथ लिया.

नतीजा सामने है. इकनामिक टाइम्स की आज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल जून से इस साल मई के बीच में कथित तौर पर इम्यूनिटी बढ़ानेवाले सप्लीमेंट्स और मल्टी-विटामिन की बिक्री में जबरदस्त उछाल आया है. देश में इस एक साल में लगभग 15 हजार करोड़ रूपये के मल्टी-विटामिन और इम्यूनिटी बूस्टर्स की बिक्री हुई है जो उसके पिछले साल की बिक्री की तुलना में 20 फीसदी ज्यादा है.

इस रिपोर्ट के मुताबिक, बीते एक साल में कुछ खास मल्टी-विटामिन की बिक्री ने रिकार्ड तोड़ दिया है. विटामिन डी की बिक्री में 40 फीसदी (817 करोड़ रूपये) और जिंक की बिक्री में तीन गुने और विटामिन सी में चार गुने की ज्यादा की बढ़ोत्तरी हुई है. मजे की बात है कि जिंक मल्टी-विटामिन की एक ब्रांड- जिन्कोविट की बिक्री 230 करोड़ रूपये से 154 फीसदी बढ़कर 585 करोड़ रूपये तक पहुँच गई.

साफ़ है कि लोगों खासकर मध्यवर्ग ने कोविड-19 से बचने के लिए घबराहट में बिना ज्यादा सोचे-समझे जमकर इम्यूनिटी बूस्टर्स और मल्टी-विटामिन टैबलेट खाया है. मुझे याद है कि पिछले साल कोविड के शुरूआती महीनों में कुछ मित्रों की सलाह पर और घबराहट में मैंने भी कुछ सप्ताह जिंक और विटामिन सी की गोलियां खाईं थीं.

भारत ही नहीं, दुनिया के अनेक देशों में इस महामारी से निपटने के लिए इम्यूनिटी बढ़ाने के वास्ते लोगों ने खूब मल्टी-विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट्स खाया है.

यही नहीं, बहती गंगा में हाथ धोने के लिए कई बाबा और योगगुरु भी कथित आयुर्वेदिक इम्यूनिटी बूस्टर्स बेचने लगे और दावा करने लगे कि ये कोविड से बचाव के लिए रामबाण दवाएं हैं.

लेकिन क्या ये मल्टी-विटामिन, सप्लीमेंट्स और आयुर्वेदिक और दूसरे इम्यूनिटी बूस्टर्स सचमुच, किसी काम के हैं? क्या वे वास्तव में, इम्यूनिटी बढ़ाते हैं? क्या वे कोरोना से निपटने में सक्षम हैं?

इसमें कोई शक नहीं है कि शरीर को विटामिनों और मिनरल सप्लीमेंट्स की जरूरत रहती है. वे हमारी स्वाभाविक इम्यूनिटी को विकसित करने और बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी हैं. हमारी इम्यूनिटी बिमारियों से लड़ने में हमारी मदद करती हैं.

लेकिन ज्यादातर विशेषज्ञ मानते हैं कि इन विटामिनों और मिनरल सप्लीमेंट्स को टेबलेट्स और सिरप से नहीं बल्कि हमारे रोजाना के खानपान और भोजन से आना चाहिए. उसके लिए ऊपर से दवा या सप्लीमेंट्स लेने का कोई विशेष फायदा नहीं होता है. उलटे, उनके अधिक इस्तेमाल से कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं.

मेयो क्लिनिक के मुताबिक, जिंक या विटामिन सी और डी आदि ऊपर से सप्लीमेंट्स की तरह से लेने से आप कोविड-19 के संक्रमण से नहीं बच सकते हैं. इन ओरल मल्टी-विटामिन और इम्यूनिटी बूस्टर्स की भूमिका बहुत सीमित है. आप चाहें तो अधिक से अधिक इसे कुछ हद तक 'प्लेसेबो इफेक्ट' भर मान सकते हैं.

यही नहीं, कुछ विशेषज्ञों का तो यहाँ तक कहना है कि ज्यादातर मल्टी-विटामिन और इम्यूनिटी बूस्टर्स एक तरह के फ्राड हैं. उनका कोई फायदा नहीं हैं. वे सिर्फ हमारी घबराहट और लाचारी का फायदा उठा रहे हैं.

अगर इसका किसी को फायदा हो रहा है तो उन दवा और सप्लीमेंट्स बनानेवाली कंपनियों को जो महामारी के इस दौर में लोगों की घबराहट को भुनाकर अरबों रूपये का मुनाफा कमा रहे हैं. इसमें बाबाओं और योगगुरुओं ने भी इम्यूनिटी बूस्टर्स के नाम पर खूब चांदी काटी है.

लेकिन मजे की बात है कि अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (ऍफ़डीए) ने पिछले साल मार्च से जुलाई के बीच कोविड-19 से बचाव और इलाज का दावा करनेवाली दर्जनों दवाओं, इम्यूनिटी बूस्टर्स, सप्लीमेंट्स, उपकरणों के बारे में कोई 98 चेतावनी चिट्ठियां जारी कीं. इनमें कोई 40 जड़ी-बूटियों, 22 मिनरल सप्लीमेंट्स, 6 उपकरणों और बायोलोजिकल्स और तीन विटामिनों के बारे में चेतावनी दी गई थी. एक शोध रिपोर्ट में इस नीमहकीमी और धोखाधड़ी का विस्तृत ब्यौरा दिया गया है.

लेकिन फिर भी देखिये कि देश में इन इम्यूनिटी बूस्टर्स और विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट्स का कारोबार धड़ल्ले से जारी है. इसमें पढ़े-लिखे डाक्टरों से लेकर नीमहकीमों और आयुर्वेद का धंधा करनेवाले कार्पोरेट बाबाओं/योगगुरुओं और कार्पोरेट कंपनियों सबकी जिम्मेदारी है.

ठगा कौन जा रहा है? हम और आप जो बिना सोचे-समझे ये विटामिन और सप्लीमेंट्स खाए जा रहे हैं और कंपनियों का मुनाफा बढ़ाए जा रहे हैं.

जबकि आप अपने भोजन में फलों, साग-सब्जियों, दाल, मोटे अनाजों और मांस-मछली आदि का संतुलन बनाकर इम्यूनिटी बढ़ा सकते हैं.

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आनंद प्रधान

देश-समाज की राजनीति, अर्थतंत्र और मीडिया का अध्येता और टिप्पणीकार